इक पल में इक सदी का मज़ा हमसे पूछिये

इक पल में इक सदी का मज़ा हमसे पूछिये, दो दिन की ज़िंदगी का मज़ा हमसे पूछिये। भूलें हैं रफ्ता-रफ्ता उन्हें मुद्दतों में हम, किश्तों में ख़ुद-खुशी का मज़ा हमसे पूछिये। आग़ाज़-ए-आशिक़ी का मज़ा आप जानिए, अंजाम-ए-आशिक़ी का मज़ा हमसे पूछिये। जलते दीयों में जलते घरों जैसी जौ* कहाँ, सरकार रौशनी का मज़ा हम से … Read more

एक सपना था

Ek-sapna-tha

सपने तो बहुत से देखे थे मैंने, आज भी देखता हूँ, कुछ अच्छे, कुछ बुरे, और कुछ ऐसे जो याद भी नहीं। कुछ सपने सच न हो जाएं ये भय भी सताता है, कुछ सपने सच क्यूं न हुए ये ग़म भी रुलाता है। आखिर देखा ही क्या था मैंने, बस छोटी सी चाह ही … Read more

‘गण’ और ‘तंत्र’

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‘तंत्र’ तो संगठित है पर ‘गण’ कहीं बिखरे पड़े, तंत्र हमको लूटता है, गण हैं आपस में लड़े। तंत्र तो पैदा हुआ था गण की सुविधा के लिए, दास था जो क्यों मचलता स्वामी बनने के लिए। बाँट रखा आज गण को स्वार्थ, जाति, धर्म ने, और तंत्र को बाँध रखा लोभ, शक्ति, भ्रष्ट कर्म … Read more

जब मर्म पुराना जगता है

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जब मर्म पुराना जगता है, मत पूछो कैसा लगता है। दिल में होता है दर्द कोई, और मन ये रोने लगता है। आँखें पथरा सी जाती हैं, और साँसें भी थम जाती हैं, कितना भी रोकूँ अश्कों को, वो मुझको नम कर जाती हैं। एक कसक हमेशा इस दिल में, हर पल करवट सी लेती … Read more

प्रिये, मैं तुममें हूँ सदा

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प्रिये, मैं तो तुममें ही रहा हूँ सदा कुछ नहीं होने की तरह सदा सुलभ रहा तुम्हारे लिए बस तेरी एक आलिंगन की प्रतीक्षा में और सबकुछ हो जाने की सनक में। और तुम? तुम भी मुझमें रही हमेशा किसी भयावह रात की तरह चुराकर मेरे हृदय की आग तुम जली किसी ज्योति की तरह … Read more

कौन से रंग का दिल है तेरा

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कौन से रंग का दिल है तेरा, चाहता क्या है? लटपट सी जबान ये तेरी कहती क्या है? चंचल सा जो मन है तेरा, सोचे क्या है? बहके से हैं कदम तुम्हारे, चला कहाँ है?   कर सकता है सामना तो भागता क्यों है? अब तो चैन से सो ले, जागता क्यों है? ताउम्र जिसे … Read more