प्रिये, मैं तुममें हूँ सदा
प्रिये, मैं तो तुममें ही रहा हूँ सदा कुछ नहीं होने की तरह सदा सुलभ रहा तुम्हारे लिए बस तेरी एक आलिंगन की प्रतीक्षा में और सबकुछ हो जाने की सनक में। और तुम? तुम भी मुझमें रही हमेशा किसी भयावह रात की तरह चुराकर मेरे हृदय की आग तुम जली किसी ज्योति की तरह … Read more