इक पल में इक सदी का मज़ा हमसे पूछिये

इक पल में इक सदी का मज़ा हमसे पूछिये, दो दिन की ज़िंदगी का मज़ा हमसे पूछिये। भूलें हैं रफ्ता-रफ्ता उन्हें मुद्दतों में हम, किश्तों में ख़ुद-खुशी का मज़ा हमसे पूछिये। आग़ाज़-ए-आशिक़ी का मज़ा आप जानिए, अंजाम-ए-आशिक़ी का मज़ा हमसे पूछिये। जलते दीयों में जलते घरों जैसी जौ* कहाँ, सरकार रौशनी का मज़ा हम से … Read more